Jai Shri Radhey Dear...

Welcome friends.........Enjoy my blogg for which I am very thankful to you and to my ....... Pyare Radheykrishna...!!!!
Devoted to lotus feet of my Radheykrishna !!


According to me ,if we follow the Humanity then,we should always remember that......

All major religious traditions carry basically the same message, that is love, compassion and forgiveness the important thing is they should be part of our daily lives.Thousands of candles can be lighted from a single candle, and the life of the candle will not be shortened. Happiness never decreases by being shared.

Wednesday, 6 November 2013

ॐ शंखनाद की औषधीय विशेषता ॐ

 
ॐ शंखनाद की औषधीय विशेषता ॐ
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हिंदू मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह रत्नों में से एक शंख की उत्पत्ति छठे स्थान पर हुई। शंख में भी वही अद्भुत गुण मौजूद हैं, जो अन्य तेरह रत्नों में हैं। दक्षिणावर्ती शंख के अद्भुत गुणों के कारण ही भगवान विष्णु ने उसे अपने हस्तकमल में धारण किया हुआ है।


शंख मुख्यतः दो प्रकार के होते ह्रैं : वामावर्ती और दक्षिणावर्ती। इन दोनों की पूजा का विशेष महत्व है। दैनिक पूजा-पाठ एवं कर्मकांड अनुष्ठानों के आरंभ में तथा अंत में वामावर्ती शंख का नाद किया जाता है। इसका मुख ऊपर से खुला होता है। इसका नाद प्रभु के आवाहन के लिए किया जाता है। इसकी ध्वनि से क्क शब्द निकलता है। यह ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। वैज्ञानिक भी इस बात पर एकमत हैं कि शंख की ध्वनि से होने वाले वायु-वेग से वायुमंडल में फैले वे अति सूक्ष्म किटाणु नष्ट हो जाते हैं, जो मानव जीवन के लिए घातक होते हैं।

उक्त अवसरों के अतिरिक्त अन्य मांगलिक उत्सवों के अवसर पर भी शंख वादन किया जाता है। महाभारत के युद्ध के अवसर पर भगवान कृष्ण ने पांचजन्य निनाद किया था। कोई भी शुभ कार्य करते समय शंख ध्वनि से शुभता का अत्यधिक संचार होता है। शंख की आवाज को सुन कर लोगों को ईश्वर का स्मरण हो आता है।

शंख वादन के अन्य लाभ भी हैं। इसे बजाने से सांस की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बजाना विशेष लाभदायक है। शंख बजाने से पूरक, कुंभक और प्राणायाम एक ही साथ हो जाते हैं। पूरक सांस लेने, कुंभक सांस रोकने और रेचक सांस छोड़ने की प्रक्रिया है। आज की सबसे घातक बीमारी हृदयाघात, उच्च रक्त चाप, सांस से संबंधित रोग, मंदाग्नि आदि शंख बजाने से ठीक हो जाते हैं।

घर में शंख वादन से घर के बाहर की आसुरी शक्तियां भीतर नहीं आ सकतीं। यही नहीं, घर में शंख रखने और बजाने से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं।

दक्षिणावर्ती शंख सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इसका मुख ऊपर से बंद होता है।

अगर आपको खांसी, दमा, पीलिया, ब्लड प्रेशर या दिल से संबंधित मामूली से लेकर गंभीर बीमारी है तो इससे निजात पाने का एक सरल और आसान सा उपाय है- प्रतिदिन शंख बजाइए।


करते हैं कि शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है।

शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है।

प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं हो सकते।
शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है।

शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का भी व्यायाम हो जाता है।

शंख वादन से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।
हिंदू मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह रत्नों में से एक शंख की उत्पत्ति छठे स्थान पर हुई। शंख में भी वही अद्भुत गुण मौजूद हैं, जो अन्य तेरह रत्नों में हैं। दक्षिणावर्ती शंख के अद्भुत गुणों के कारण ही भगवान विष्णु ने उसे अपने हस्तकमल में धारण किया हुआ है।


शंख मुख्यतः दो प्रकार के होते ह्रैं : वामावर्ती और दक्षिणावर्ती। इन दोनों की पूजा का विशेष महत्व है। दैनिक पूजा-पाठ एवं कर्मकांड अनुष्ठानों के आरंभ में तथा अंत में वामावर्ती शंख का नाद किया जाता है। इसका मुख ऊपर से खुला होता है। इसका नाद प्रभु के आवाहन के लिए किया जाता है। इसकी ध्वनि से क्क शब्द निकलता है। यह ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। वैज्ञानिक भी इस बात पर एकमत हैं कि शंख की ध्वनि से होने वाले वायु-वेग से वायुमंडल में फैले वे अति सूक्ष्म किटाणु नष्ट हो जाते हैं, जो मानव जीवन के लिए घातक होते हैं।

उक्त अवसरों के अतिरिक्त अन्य मांगलिक उत्सवों के अवसर पर भी शंख वादन किया जाता है। महाभारत के युद्ध के अवसर पर भगवान कृष्ण ने पांचजन्य निनाद किया था। कोई भी शुभ कार्य करते समय शंख ध्वनि से शुभता का अत्यधिक संचार होता है। शंख की आवाज को सुन कर लोगों को ईश्वर का स्मरण हो आता है।

शंख वादन के अन्य लाभ भी हैं। इसे बजाने से सांस की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बजाना विशेष लाभदायक है। शंख बजाने से पूरक, कुंभक और प्राणायाम एक ही साथ हो जाते हैं। पूरक सांस लेने, कुंभक सांस रोकने और रेचक सांस छोड़ने की प्रक्रिया है। आज की सबसे घातक बीमारी हृदयाघात, उच्च रक्त चाप, सांस से संबंधित रोग, मंदाग्नि आदि शंख बजाने से ठीक हो जाते हैं।

घर में शंख वादन से घर के बाहर की आसुरी शक्तियां भीतर नहीं आ सकतीं। यही नहीं, घर में शंख रखने और बजाने से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं।

दक्षिणावर्ती शंख सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इसका मुख ऊपर से बंद होता है।

अगर आपको खांसी, दमा, पीलिया, ब्लड प्रेशर या दिल से संबंधित मामूली से लेकर गंभीर बीमारी है तो इससे निजात पाने का एक सरल और आसान सा उपाय है- प्रतिदिन शंख बजाइए।


करते हैं कि शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है।

शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है।

प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं हो सकते।
शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है।

शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का भी व्यायाम हो जाता है।

शंख वादन से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।

Friday, 30 August 2013

             
                          Radhe Sadaa Mujh par Rehmat Ki Nazar Rakhna,
                    Main Das Tumhara Hu Itni To Khabar Rakhna…….
Yahan Koi Nahin Apna Sirf Tera Sahara hi ho
Maine Dekha Liya Sabko Ab Tumko Pukara HAI
Kahi Dub Na Jaun Main Meri Baahein Pakar Rakhna…
Radhe Sadaa Mujh par Rehmat Ki Nazar Rakhna….
Kab Tak Thukraogi Kab Tak Na Bulaaogi,
Dogi Na Hame Darsan Kab Tak Tarpaaogi.
Didar Karu Tera Jivan Ka Yahi Sapna…..
Radhe Sadaa Mujh par Rehmat Ki Nazar Rakhna
Main Das Tumhara Hu Itni To Khabar Rakhna……
Kishori Tere Charnan Ki Raj Paau
Pyaari Tere Charnan Ki Raj Paau……
Batha Rahu Kunjan Me Shyam Radhika Gau,
Kishori Tere Charnan Ki Raaj Pau…..
Barj Ki Rani Radhika Asht Sakhin Ki Jhund,
Dagar Buharat Sawara Jai Jai Radha Kund….
Santo Ne Tumko DekHa Liya
Bhakto Ne Tumko DekHa Liya,
Radhe Kabhi To Main Bhi Kahu
Maine Bhi Tumko DekHai Liya……
Radhe Sadaa Mujh par Rehmat Ki Nazar Rakhna,
Main Das Tumhara Hu Itni To Khabar Rakhna…….
Kishori tere charnan ki raj pau…….Sri Radhey

Saturday, 9 February 2013

Link To ignitia........


Ignitia 13

UTOPIA IS WHAT I SEEK..
I AM BACK TO REMOVE THE BLEAK..
THE FIRE IS KINDLED, AND THE DARKNESS DWINDLED..
LET YOUR EMOTIONS UNPACK, IGNITIA IS BACK..


Saturday, 22 December 2012

A Wonderful speech by Shushma Swaraj on "INFLATION"




Tuesday, 23 October 2012


 Patanjali Yogpeeth of Swami Ramdevji


Swami Ramdevji




PATANJALI YOGPEETH & BHARAT SWABHIMAN - THE PATH
An Outlook On Life
Surrender yourself into the hands of God while observing complete restraint on your body senses and mind. Whatever then happens in your life shall be auspicious....there shall be spontaneous attainment of success, accomplishment and Samādhi in your life.
Work Philosophy
The objective of our life is to believe in the Supermacy of the power of Guru and the power of God to worship the Nation-deity through disciplined hardwork, and to discharge our righteous actions and duties with complete dedication, competence unsparing endeavour and enterprise (aggressiveness). Always staying calm and devoid of an arrogance, by accepting that the knowledge, prosperity, success, accomplishment, kingdom, affluence, glory - all these achievements of our life are bye the grace of Guru and God, this is our work philosophy.
The Five Vows
1. God has choosen me for self redemption and for welfare of the world.
2. Life has got before it a very sublime goal of service to the nation and service of mankind.
3. I will never assess myself disparagingly.
4. I will maintain a perennial flow of noble sentiments in my life.
5. I will live as a cautious and vigilant representative of my Guru, God and nation.
The Five Targets
1. 100% voting.
2. 100% natinalistic thinking.
3. 100% total boycott of foreign companies, and complete support to swadeshi.
4. 100% organization of patriots.
5. To make a healthy, prosperous and cultured Bharat by developing a 100% yoga - practicing Bharat.
The Seven Norms of Good Conduct
1. Vegitarianism
2. Addiction - free
3. Healthy
4. Competent
5. Dedicated
6. Non-political life
7. Commitment to devote at least two hours daily to yoga and national interest
The Seven Norms of Nationalism
1. Nationalism
2. Enterprise
3. Transparency
4. Foresight
5. Humanitarianism
6. Spiritualism
7. Humility

Amar Shaheed Shri Rajiv Dixit – Official Website

Amar Shaheed Shri Rajiv Dixit – Official Website














Archive for the ‘राजीव दीक्षित |Rajiv Dixit’ Category

स्वदेशी भारत पीठम (ट्रस्ट)

राजीव भाई के सपनों को पूरा करने के लिए एवं उनके विभिन्न महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाने हेतु कार्य समितियों का गठन किया जा रहा, जिसके लिए स्वदेशी भारत पीठम (ट्रस्ट) की स्थापना की गई है जिसके निम्न मुख्य उद्देश्य है:-
- भारत को स्वदेशी से स्वावलंबी बनाना।
- देश भर में स्वावलंबी गौशाला एवं जैविक कृषि को बढ़ावा देना।
- समाज एवं पर्यावरण आधारित सेवा के कार्य।
उपरोक्त अभियानों की रूपरेखा, प्रबंधन एवं देश भर में सुचारु रूप से संचालन करने हेतु कार्य समितियों का गठन किया जाएगा जिसके लिए देशभर से योग्य व्यक्तियों  को आमंत्रित किया जाता है ...
अत: सभी देशवासियों से निवेदन है की वे राजीव भाई के सपनों का भारत बनाने के लिए स्वदेशी भारत पीठम (ट्रस्ट) द्वारा चलाये जाने वाले भारत पुन:निर्माण के इस अभियान में भागीदार बने। धन्यवाद!